By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
balprahribalprahribalprahri
  • बालप्रहरीःपरिचय
  • बालसाहित्य संस्थान : परिचय
  • गतिविधियां
    • बाल क्लब
    • चिल्ड्रन एक्टिविटी
    • ऑनलाइन कार्यशाला
  • फोटोग्राफ
  • बालप्रहरीः सरंक्षक
  • ई पत्रिका
  • संपादक
  • समाचार
  • सदस्यताNew
  • संपर्क
Reading: चाक्यूसैण 5 दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला का समापनः
Share
Notification Show More
Font ResizerAa
balprahribalprahri
Font ResizerAa
  • बालप्रहरीःपरिचय
  • बालसाहित्य संस्थान : परिचय
  • गतिविधियां
  • फोटोग्राफ
  • बालप्रहरीः सरंक्षक
  • ई पत्रिका
  • संपादक
  • समाचार
  • सदस्यताNew
  • संपर्क
  • बालप्रहरीःपरिचय
  • बालसाहित्य संस्थान : परिचय
  • गतिविधियां
    • बाल क्लब
    • चिल्ड्रन एक्टिविटी
    • ऑनलाइन कार्यशाला
  • फोटोग्राफ
  • बालप्रहरीः सरंक्षक
  • ई पत्रिका
  • संपादक
  • समाचार
  • सदस्यताNew
  • संपर्क
Have an existing account? Sign In
Follow US
© 2025 Balprahri. All Rights Reserved. By -Nav Uday Eduversity
Uncategorized

चाक्यूसैण 5 दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला का समापनः

admin
Last updated: April 8, 2025 11:07 am
admin
1 month ago
Share
SHARE

चाक्यूसैण 5 दिवसीय बाल लेखन
कार्यशाला का समापनः

      लोक विज्ञान के तहत बच्चों ने दूध से मक्खन बनाने, सब्जियों को संरक्षित करने व अचार बनाने  की प्रक्रिया को दिए शब्द 

बाल कवि सम्मेलन में बच्चों 
  ने पढ़ी स्वरचित कविताएं

   चाक्यूसैण दर्पण हस्तलिखित पत्रिका का लोकार्पण 

'बाल संसार'  व 'चाक्यूसैण टाइम्स'  व 5 दीवार पत्रिकाओं का लोकार्पण

गीत नाटिका ‘कुदरत का विज्ञान’ के माध्यम से दिया पर्यावरण जागरूकता का संदेश

नुक्कड नाटक ‘मोबाइल टन टनाटन टन’ के माध्यम से प्रस्तुत की आज की हकीकत

द्वारीखाल (पौड़ी)। बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से राजकीय इंटर कॉलेज चाक्यूसैण में आयोजित बच्चों की 5 दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला के समापन समारोह में बच्चों द्वारा तैयार हस्तलिखित पुस्तकों की प्रर्दशनी विशेष आकर्षण का केंद्र रही। मेरा परिचय, जीवन की घटना, यात्रा वर्णन, मेरी दिनचर्या, आदि को जोड़ते हुए बच्चों ने लगभग 15 पृष्ठों को जोड़ते हुए बालप्रहरी, बाल संसार, बालवाटिका, बाल मन, किशोरी स्वर, बाल मन, मेरी सोच, नई ज्योति, नई किरण, बाल संस्कार, संभावना, नई किरण आदि नामों से अपनी-अपनी हस्तलिखित पुस्तक तैयार की। अपनी हस्तलिखित पुस्तक में बच्चों ने दूध से मक्खन बनाने, सब्जियों को संरक्षित रखने, अचार बनाने व कंपोस्ट खाद बनाने आदि लोकविज्ञान की प्रक्रिया को अपने शब्दों में लिखा।
बाल कवि सम्मेलन में 12 बच्चों ने कार्यशाला में तैयार स्वरचित कविताओं का पाठ किया।
उदय किरौला द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक मोबाइल टन टना टन टन के माध्यम से बच्चों ने वर्तमान मोबाइल संस्कृति पर प्रहार करते हुए आज की हकीकत को प्रस्तुत किया। वहीं नुक्कड नाटक के दूसरे समूह ने गीत नाटिका ‘कुदरत का विज्ञान’ के माध्यम से पर्यावरण के अलग अलग पक्षों को रखा।
प्रारंभ में कार्यशाला के प्रत्येक प्रतिभागी बच्चे को अतिथियों ने बैज लगाकर सम्मानित किया। औरेगैमी के तहत बच्चों ने अखबार से बनाए मुकुट अतिथियों को पहिनाए। राजकीय इंटर कालेज किनसुर के विज्ञान प्रवक्ता एवं कार्यशाला के स्थानीय संयोजक महेंद्र सिंह राणा द्वारा संपादित हस्तलिखित पत्रिका ‘चाक्यूसैण दर्पण’ तथा पंकज सिंह रावत, मीना कुकरेती, सुनीता बडोला व महेंद्रसिंह राणा द्वारा बच्चों की रचनाओं को जोड़कर बनाई गई 5 दीवार पत्रिकाओं का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यशाला के मुख्य संयोजक बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव एवं बालप्रहरी संपादक उदय किरौला ने सभी का स्वागत व आभार व्यक्त करते हुए कार्यशाला की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने अपनी कहानी ‘पीं पीं पीं पीं पीं के माध्यम से बच्चों के मन में वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने की पहल की।
समारोह के मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता व अभिभावक शिक्षक संघ के अध्यक्ष महावीर सिंह
ने बच्चों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि विज्ञान के प्रयोग केवल बड़ी – बड़ी प्रयोगशालाओं में होते हैं। ये अवधारणा सही नहीं है। उन्होंने कहा कि आदिकाल से हमारे पूर्वज विज्ञान के कई प्रयोग करते रहे हैं। हमारे घर के किचन में सुबह से शाम तक विज्ञान के कई प्रयोग होते हैं। हम स्कूल में रसायन शास्त्र पढ़ते हैं परंतु किचन में महिलाएं आए दिन की रसायनों का प्रयोग बहुत ही आसानी से करती हैं। हम जिन मसालों का प्रयोग अपने भोजन में करते हैं। वे केवल मसाले नही अपितु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हमारे शरीर को लाभ पहुंचाते हैं।
राजकीय इंटर कालेज चाक्यूसैण के प्रधानाचार्य जगमोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि जिन मान्यताओं को हम अंधविश्वास कहते हैं। अगर हम इसकी तह में जाएंगे तो हम लगेगा कि इन मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हमने सामाजिक दूरी बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। दूसरी ओर हम अपने घर गांव में देखते हैं कि बच्चे के जन्म के समय या सूतक काल में हमारे यहां सामाजिक दूरी बनाए रखने की परंपरा है। इन परंपराओं का कहीं न कहीं वैज्ञानिक आधार है। इन मान्यताओं को हमें क्या क्यों कैसे जैसी कसौटियों पर तर्कसंगत ढंग से सोचकर विचार करना होगा। उन्होंने 5 दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला का आयोजन चाक्यूसैण जैसे ग्रामीण क्षेत्र में रखने के लिए उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद देहरादून तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि 5 दिन में बच्चों ने खेल खेल में मस्ती के साथ काफी कुछ नया सीखा। बच्चों को लिखित व मौखिक अभिव्यक्ति का अवसर मिला।
अंत में सुरेंद्र सिंह रावत ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर स्कूल के शिक्षक व अभिभावक उपस्थित थे। मुख्य अतिथि द्वारा बच्चोंट को प्रमाण पत्र भी दिए गए। समूचे समारोह का संचालन कक्षा 9 की छात्रा साक्षी भंडारी ने किया।

You Might Also Like

140 हस्तलिखित पुस्तकों की प्रर्दशनी विशेष आकर्षण को केंद्र

बालप्रहरी राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी 2025 का आमंत्रण

Share This Article
Facebook Email Print
Previous Article 140 हस्तलिखित पुस्तकों की प्रर्दशनी विशेष आकर्षण को केंद्र
Next Article बालप्रहरी राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी 2025 का आमंत्रण
Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

© 2025 Balprahri. All Rights Reserved. By -Nav Uday Eduversity
Join Us!
Subscribe to our newsletter and never miss our latest news, podcasts etc..
[mc4wp_form]
Zero spam, Unsubscribe at any time.
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?