अल्मोड़ा। 29 सितंबर। बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा आयोजित 500वें ऑनलाइन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ी ने कहा कि आज के दौर में बच्चे मोबाइल तथा इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों से जुड़े हैं। उन्हें प्रकृति तथा पुस्तकों से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बच्चे अपनी पढ़ाई करें। अपनी रूचि के अनुसार भविष्य में अपनी मंजिल को पाएं। परंतु उनके मन में वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने की जरूरत है। बच्चों के अंदर मानवीय मूल्यों के संचार करने तथा उन्हें सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की जरूरत है।
‘बालप्रहरी और बालसाहित्य’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए बच्चों की प्रिय कविता 'यदि पेड़ भी चलते होते' कविता के लेखक प्रमुख बालसाहित्यकार डॉ. दिविक रमेश ने कहा कि बालसाहित्य केवल बच्चों के लिए नहीं होता है। ये बड़ों के लिए भी होता है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए उत्कृष्ट बालसाहित्य लिखा जा रहा है। इसे बच्चों तक कैसे पहुंचाया जाए। इस पर चिंतन मनन किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कल्पना के बगैर कोई साहित्य नहीं होता। परंतु बच्चों के लिए ऐसा साहित्य लिखा जाना चाहिए जो विश्वश्वनीयता के दायरे में हो।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजक मंडल के संरक्षक आकाश सारस्वत उप निदेशक शिक्षा विभाग उत्तराखंड ने कहा कि बालप्रहरी की ऑनलाईन कार्यशालाओं में बच्चे जहां साहित्य की विभिन्न विधाओं से जुड़ रहे हैं। वहीं संचालक,मुख्य अतिथि तथा अध्यक्ष बतौर उनमें नेतृत्व की भावना जाग्रत हो रही है।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. राजेंद्र्प्रसाद स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय बरेली के शिक्षा संकाय विभागाध्यक्ष तथा बालसाहित्यकार डॉ. नागेश पांडेय ‘संजय’ ने कहा कि बालप्रहरी केवल एक पत्रिका नहीं बल्कि एक आंदोलन है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बच्चों को स्कूलों में भोजन उपलब्ध करा रही है। इसके साथ ही जरूरी है कि स्कूल में बच्चों के लिए पुस्तकालय या बालसाहित्य का पीरियड भी हो।
एम.बी.राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी की हिंदी विभागाध्यक्ष साहित्यकार डॉ. प्रभा पंत ने कहा कि आज के अभिभावक अभिभावक बच्चों को पाठ्यक्रम से बाहर की पुस्तकें नहीं देना चाहते हैं। जबकि पाठ्यक्रम से बाहर की पुस्तकें तथा गैर शैक्षणिक गतिविधियों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने कहा कि आज बच्चों को दोष दिया जाता है कि बच्चे मोबाइल की ओर आकर्षित हो रहे हैं। बच्चे पुस्तकों से दूरी बना रहे हैं। एक साहित्यकार, शिक्षक तथा अभिभावक बतौर यदि बड़े लोग पुस्तकें पढ़ने की आदत बनाएंगे तो बच्चे जरूर पुस्तकों से जुड़ेंगे।
संगोष्ठी के अंत में प्रसिद्ध बालसाहित्यकार एवं बालप्रहरी के संरक्षक श्यामपलट पांडेय ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बालप्रहरी की ऑनलाईन कार्यशालाओं में लगभग 36 विधाओं से बच्चों को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि बालप्रहरी की दीर्घकाल से चल रही गतिविधियों में बच्चों के साथ ही अभिभावकों का महत्वपूर्ण योगदान है। कई अभिभावक व साहित्यकार प्रतिदिन समय निकालकर बच्चों का मनोबल बढ़ाते हैं
कार्यक्रम का संचालन आर्मी पब्लिक स्कूल अल्मोड़ा के कक्षा 7 के छात्र चैतन्य बिष्ट ने किया। सृष्टि आर्या कक्षा 7 (झांसी,उ.प्र.) तथा मंत्रिता शर्मा,कक्षा 4 (ग्वालियर,म.प्र.) ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. शकुंतला कालरा, हूंदराज बलवाणी, डॉ. प्रत्यूष गुलेरी, शील कौशिक, समीर गांगुली, फहीम अहमद, पवन चौहान, डॉ. गिरीश पांडेय ‘प्रतीक’, बलदाऊराम साहू, सुशीला शर्मा, हरीश सेठी ‘झिलमिल’, कृपालसिंह शीला, प्रकाश पांडे, सौम्या पांडेय,कैलाशचंद्र जोशी, पुष्पा आर्या,शिवदत्त तैनगुरिया, सुरेश सती,शशि ओझा, डॉ. महेंद्र राणा,शशिबाला श्रीवास्तवा, लोकमणी गुरूरानी,आशा पाटिल, नितिन पाठक,मोहनचंद्र पांडे, देवसिंह राना, सोनू उप्रेती, युगल मठपाल, शंकरदत्त तिवारी, संदीपकुमार जोशी, प्रियंका सांगा,, त्रिलोचन जोशी, हरदेवसिंह धीमान, रविप्रकाश केशरी,नीनासिंह सोलंकी, संजय जोशी, सुमित श्रीवास्तव, पूनम भूषण, हेमा नयाल, विनोद आर्य, हेमंत यादव, दीपा तिवारी, शिवराज कुर्मी, हेमंत चौकियाल, शोभा बिष्ट, पवन ,चिंतामणी जोशी, शोभा बिष्ट, एकात्मता शर्मा, दीपा तिवारी, गंगा आर्या आदि ने ऑनलाइन कार्यक्रम में भागीदारी की। कार्यक्रम के प्रारंभ में बालप्रहरी के संपादक एवं बालसाहित्य संस्थान सचिव उदय किरौला ने कार्यशाला की अवधारणा बताते हुए कहा कि बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशालाओं से देश के 16 राज्यों के 2100 बच्चे जुड़े हैं। अभी तक लगभग 250 बच्चे संचालन कर चुके हैं। लगभग 1500 बच्चे अध्यक्ष तथा 150 बच्चे विशिष्ट अतिथि बतौर जुड़ चुके हैं। उन्होंने इसके लिए अभिभावकों का आभार व्यक्त किया ।
बालप्रहरी के लिए रचनाएं आमंत्रित
अल्मोड़ा,उत्तराखंड से विगत 18 वर्षो से अनवरत रूप से जन सहयोग से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी के लिए बाल कहानी, बाल कविता आदि बालापयोगी रचनाएं प्रकाशनार्थ सादर आमंत्रित हैं। फिलहाल मानदेय दिया जाना संभव नहीं है।
रचनाएं मेल से भी भेजी जा सकती हैं।
रचनाएं डाक से भी संपादक बालप्रहरी दरबारीनगर,अल्मोड़ा, उत्तराखंड के पते पर भी भेजी जा सकती हैं।
वाट्सअप पर कुछ समय बाद सामग्री हट जाती है। इसलिए रचनाएं मेल या डाक से भिजवाकर मदद कीजिएगा।
आशा है सहयोग कर कृतार्थ करेंगे। अधिक जानकारी के लिए 9412162950 पर संपर्क किया जा सकता है।
बच्चों की ड्राइंग व कविता आदि भिजवाएं
यदि घर,परिवार व परिचित बच्चे ड्राइंग बनाते हैं। कविता आदि लेखन में रूचि रखते हैं। तब बच्चों की रचनाएं निःशुल्क प्रकाशन के लिए बालप्रहरी के लिए मेल से भेजी जा सकती हैं।
ड्राइंग मौलिक होनी चाहिए। कई बार बच्चे महॉत्मा गांधी, शेर, आदि ड्राइंग कहीं से उतार कर बनाते हैं। ये बात अलग है कि बच्चे ने उतार कर अच्छी ड्राइंग बनाई है। हम बड़े लोग उतार कर भी नहीं बना सकते हैं। परंतु ड्राइंग में बच्चे की अपनी अभिव्यक्ति दिखनी चाहिए। मान लिया उसने घर बनाया। घर के आगे पेड़, रास्ता, कपड़े टांगने के लिए तार हो सकता है। तार में चिड़िया आदि हो सकती है। यानी अपनी कल्पना से मौलिक ड्राइंग तैयार कर भेजी जानी है।
मेरी मम्मी, मेरी नानी, एक दिन की बात है, मैंने एक दिन एक सपना देखा, यात्रा वृतांत, मेरे जीवन की घटना जैसे विषयों पर बच्चों को मौलिक लेखन के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसमें कहीं से उतारने की गुंजाइश नहीं रहती है।
बालप्रहरी के प्रत्येक अंक में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, कहानी लिखो प्रतियोगिता, कविता लिखो प्रतियोगिता आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। जिनमें चयनित होने पर बच्चों को उपहार में पुस्तकें/पत्रिकांए डाक से भेजी जाती हैं।
बालप्रहरी बाल क्लब के लिए बच्चे अपनी पासपोर्ट साईज फोटो भिजवा सकते हैं।
बालप्रहरी के प्रत्येक अंक में लगभग 12 पृष्ठों पर बच्चों की रचनाएं प्रकाशित की जाती हैं। हमारा प्रयास रहता है कि बच्चों की कविता, कहानी व अन्य रचनाओं को संपादित कर अनिवार्य रूप से प्रकाशित किया जाए। चित्र या ड्राइंग अनिवार्य तौर पर प्रकाशित होगी,ये नहीं कहा जा सकता है।
कुछ अभिभावक बच्चे के नाम पर स्वयं लिख देते हैं। ये ठीक नहीं है। आप बच्चे को मदद कर सकते हैं। परंतु उसे स्वयं सोचने,लिखने के लिए प्रेरित करेंगे तो बच्चे में रचनात्मकता का भाव जाग्रत होगा। आप उसकी रचना में सुधार कर सकते हैं। उसे उसके मन पसंद विषय पर लिखने व ड्राइंग तैयार करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
बच्चे की प्रत्येक रचना पर नाम कक्षा स्कूल पूरा पता एवं फोन नंबर लिखा जाना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए 9412162950 पर संपर्क किया जा सकता है।
बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशाला में बच्चों का स्वागत है
कोरोना काल में बच्चों को अभिव्यक्ति का अवसर देने, उन्हें साहित्य की विभिन्न विधाओं से परिचिय कराने, उनमें नेतृत्व की भावना जाग्रत करने
तथा उनके सर्वांगाण विकास के लिए बालप्रहरी द्वारा गूगल मीट/फेसबुक पर ऑनलाइन कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। 2 अगस्त,2022 तक बालप्रहरी की 457 ऑनलाइन कार्यशालाएं संपन्न हो चुकी हैं। वृहस्पतिवार तथा शुक्रवार को छोड़कर प्रायः सप्ताह में 5 दिन ऑनलाइन कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। बालप्रहरी से अभी तक भारत के 16 राज्यों के लगभग 2200 बच्चे जुड़े हैं। जिसमें से लगभग 1200 बच्चे अभी तक बतौर अध्यक्ष अपनी अभिव्यक्ति दे चुके हैं। लगभग 200 बच्चों को विशिष्ट अतिथि बतौर अपनी बात रखने का अवसर मिला है।
बालप्रहरी की ऑनलाईन कार्यशाला का संचालन प्रत्येक दिन अलग-अलग बच्चे करते हैं। अभी तक लगभग 350 बच्चे कार्यशालाओं का संचालन कर चुके हैं।
ऑनलाइन कार्यशाला में जुड़ने के लिए सबसे पहले बालप्रहरी के वाट्सअप नंबर 9412162950 को अपने मोबाइल पर सेव करके अपना नाम कक्षा स्कूल स्थान तथा जनपद लिखना होता है। उसके बाद बालप्रहरी समूह में जोड़ा जाता है। समूह में कार्यक्रम की जानकारी समय-समय पर दी जाती है। इस पर बच्चे को अपनी रूचि के कार्यक्रम के लिए सहमति देनी होती है। सबसे पहले बच्चे को प्रतिभागी बतौर शामिल किया जाता है। कुछ दिन बाद बच्चे को अध्यक्ष मंडल में शामिल किया जाता है। अध्यक्षीय भाषण में उसकी प्रस्तुति को देखते हुए उसे अगले चरण में संचालक बनाया जाता है। संचालक बनने के बाद अगले कार्यक्रमों में बच्चे को विशिष्ट अतिथि बतौर आमंत्रित किया जाता है। अध्यक्ष,संचालक व विशिष्ट अतिथि का चयन प्रतिदिन की सूची में शामिल बच्चों में से ही किया जाता है। इस कारण कुछ बच्चों को संचालन,अध्यक्ष व विशिष्ट अतिथि बनने का अवसर अधिक बार मिलता है।
ऑनलाइन कार्यशाला में पाठ्यपुस्तक की कविता व कहानी का वाचन, स्वरचित कविता व कहानी का वाचन, नाना-नानी व दादा-दादी व माता-पिता से सुनी लोक कथा का वाचन, लोक गीत गायन, देश भक्ति गीत गायन, भजन गायन,नृत्य कार्यशाला, त्वरित भाषण(इसमें विषय तत्काल दिया जाता है),आत्मकथा वाचन, समूह चर्चा, साक्षात्कार, पत्र लेखन आदि विधाओं से बच्चों को जोड़ने का प्रयास रहता है।कहानी वाचन तथा कविता वाचन में प्रतिष्ठित साहित्यकार अपनी कहानी व कविता बच्चों को सुनाते हैं। उस कहानी व कविता पर उपस्थित बच्चे तत्काल अपनी टिप्पणी देते हैं।
ऑनलाईन कार्यशालाओं में बच्चों को तैयार करने में अभिभावकों की भूमिका रहती है। लगभग हर माह एक दिन अभिभावकों को भी अपनी अभिव्यक्ति का अवसर देने के लिए ‘अभिभावक सम्मेलन ’ किया जाता है। प्रतिदिन के कार्यक्रम में संचालन,अध्यक्षता व विशिष्ट अतिथि बतौर बच्चों की भागीदारी रहती है। प्रतिदिन एक सीनियर साथी-डॉक्टर, इंजीनियर,शिक्षक, साहित्यकार, आदि को मुख्य अतिथि बतौर जोड़ा जाता है। अभी तक 457 लोगों को बतौर मुख्य अतिथि शामिल किया गया है। जिसमें से कई अभिभावकों को भी अवसर मिल चुका है।
बालाप्रहरी की ऑनलाइन कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी के लिए 9412162950 पर संपर्क किया जा सकता है।
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बालप्रहरी पकित्रा का प्रकाशन विगत 18 वर्षो से अनवरत जन सहयोग से किया जा रहा है। इसके लिए हम अपने रचनाकारों, सदस्यों तथा शुभचिंतकों का आभार व्यक्त करते हैं। बालप्रहरी एक पत्रिका ही नहीं बल्कि बच्चों को साहित्यिक मंच उपलब्ध कराने, उनके मन में वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने तथा उन्हें लेखन तथा पठन-पाठन से जोड़ने का एक प्रयास भी है। इस प्रयास में आपका सहयोग अपेक्षित है। आप बालप्रहरी की संरक्षक सदस्यता 5000 रुपए, आजीवन सदस्यता 2000 रुपए अथवा तीन वर्ष की सदस्यता 300 रुपए भिजवाकर पत्रिका को संबल प्रदान कर सकते हैं। सदस्यता राशि बालप्रहरी के पंजाब नेशनल अल्मोड़ा स्थित खाता संख्या 0962000101357002( प्थ्ैब् ब्वकमरूच्न्छठ0096200) में जमा की जा सकती है। अथवा संपादक बालप्रहरी के नाम मनीआर्डर या ड्राफ्ट से भिजवा सकते हैं। नेशनल बैंकों के चैक भी स्वीकार किए जाएंगे।
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