BALPRAHRI SAMACHAR
3 स्कूलों के 600 बच्चों से हुआ संवाद
3 स्कूलों के 600 बच्चों से हुआ संवाद
भीमताल किताब कौतिक में भागीदारी
कुमाउनी भाषा में मेले को कौतिक कहा जाता है। क्रिएटिव उत्तराखंड से जुड़े भाई हेम पंत एवं साथियों की पहल पर उत्तराखंड में पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विगत वर्ष 24 एवं 25 दिसंबर,2023 को टनकपुर,चंपावत में किताब कौतिक पहली बार आयोजित किया गया। किताब कौतिक में जन सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित प्रकाशकों की लगभग 60 हजार पुस्तकों की प्रदर्शनी, पुस्तकों का लोकार्पण, लेखक से मिलिए, विभिन्न स्कूलों के बच्चों की भागीदारी, पुस्तकों पर चर्चा सहित स्थानीय संस्कृति पर आधारित लोक कलाओं की प्रदर्शनी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रदर्शनी आदि का आयोजन किया जाता है। किताब कौतिक के पहले दिन कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के बहाने विभिन्न संदर्भ व्यक्तियों/विशेषज्ञों की टीमें विभिन्न स्कूलों में भेजी जाती हैं। जो कि अपनी विधा/विशेषज्ञता के आधार पर बच्चों से संवाद करते हैं।
वृहस्पतिवार तथा शुक्रवार को बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यक्रम का अवकाश रहता है। इसलिए 5 अक्टूबर,2023 वृहस्पतिवार को प्रातः 5 बजे भीमताल किताब कौतिक के लिए घर से निकल गया। प्रातः 5.30 बजे अल्मोड़ा से टैक्सी से हल्द्वानी के लिए चल दिया। किताब कौतिक आयोजक मंडल ने बच्चों के साथ रचनात्मक लेखन के लिए मुझे हल्द्वानी के स्कूलों की जिम्मेदारी सौंपी थी। ठीक 10 बजे हम ओएसिस द वर्ल्ड स्कूल पहुंचे। पेशे से इंजीनियर तथा किताब कौतिक के सक्रिय साथी हिमांशु रिस्की पाठक ने किताब कौतिक की अवधारण प्रस्तुत करते हुए पुस्तक मेले का आमंत्रण दिया। उसके बाद लगभग 280 बच्चों को मैंने ‘आदमी की कहानी’ सुनाई। त्वरित भाषण में लगभग एक दर्जन बच्चों को पुस्तकें उपहार में दी गई। बच्चों को ‘तोता कहता है’ खेल कराया। बच्चों ने खूब मस्ती ली। त्वरित भाषण में स्वैच्छिक रूप से बच्चों ने जिस प्रकार प्रतिभाग किया। उससे विद्यालय प्रबंधक श्री किशोर गहतोड़ी एवं अन्य स्टाफ की मेहनत साफ झलकती है। यहां बच्चों ने हुड़के की थाप पर जन कवि गिरीश तिवारी जी का गीत हमारे साथ गाया।
लगभग 12.30 बजे हम राजकीय इंटर कालेज मोतीनगर पहुचे। विद्यालय में बच्चे तो बहुत थे। संभवतया विद्यालय का हॉल निर्माणाधीन था। सभी बच्चों को एक साथ बैठाया जाना संभव नहीं था। एक बड़े कमरे में कक्षा 6,7 तथा 8 के लगभग 80 बच्चों के साथ बातचीत हुई। यहां हमारे साथ जीआईसी मोतीनगर के पूर्व प्रवक्ता तथा साहित्यकार के.डी.जोशी भी रहे। उन्होंने बच्चों को एक गीत सुनाया। यहां बच्चों को ‘टोपीलाल की कहानी’ सुनाई। इंजीनियर हिमांशु पाठक ने सभी का आभार व्यक्त किया।
2 बजे हम राजकीय इंटर कालेज हल्दूचौड़ पहुंचे। यह जानकर प्रशन्नता हुई कि स्काउट से जुड़े हमारे बहुत पुराने साथी भाई हिमांशु पांडे ‘मित्र’ ने बकायदा बोर्ड में किताब कौतिक की जानकारी लिखी थी। विद्यालय की लड़कियों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। यहां भी त्वरित भाषण में लगभग एक दर्जन बच्चों को पुस्तकें उपहार में दी गई। बच्चों को ‘आदमी की कहानी’ सुनाई। हुड़के की थाप पर सभी बच्चों ने कुमाउनी गीत गाया। भाई हिमांशु पांडे का बच्चों के साथ तालमेल अच्छा लगा। सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि भाई हिमांशु पांडे जी की पहल पर इस कालेज के लगभग 15 बच्चे बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशालाओं से जुड़ते रहे हैं। उन बच्चों से आफलाइन मिलना बहुत सुखद रहा। यहां आदरणीय के. डी. जोशी जी ने गीत सुनाया तथा इंजीनियर हिमांशु पाठक ने किताब कौतिक की जानकारी देते हुए बच्चों से वैज्ञानिक सोच अपनाने की बात कही। यहां प्रधानाचार्य जी व विद्यालय के सभी शिक्षकों सहित लगभग 250 बच्चों की भागीदारी रही।
सायं ग्राफिक इरा हिल युनिवर्सिटी भीमताल पहुंचा। कई मित्रों से भेंट हुई। सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कई कलाकारों की प्रस्तुतियां हुई। हुड़के की थाप पर मुझे भी अपनी प्रस्तुति दो बार देने का अवसर मिला। सुखद क्षण ये रहा कि कार्यक्रम के अंत में सामूहिक झोड़े में कलाकारों के साथ ही ग्राफिक इरा हिल युनिवर्सिटी के लगभग 100 छात्र-छात्राओं ने भी मंच पर हुड़के की थाप पर नृत्य किया।
आज 6 अक्टूबर को किताब कौतिक का उद्घाटन हुआ। दिल्ली, देहरादून, लखनऊ तथा उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों से आए साहित्यकारों व विद्वानों से मिलने का अवसर मिला। उद्घाटन सत्र में राजकीय हाईस्कूल महरागांव के बच्चों ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत तथा नेपाली नृत्य किया। विद्यालय के शिक्षक भाई प्रदीप उपाध्याय जी के निर्देशन में बच्चों ने बहुत अच्छी प्रस्तुति दी। प्रदीप जी के माध्यम से राजकीय हाईस्कूल महरागांव के लगभग 20 बच्चे बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यक्रमों से जुड़ते रहे हैं। इन बच्चों से मिलना सचमुच बहुत आनंददायक रहा। आज कई स्कूलों के बच्चों तथा शिक्षकों से भी भेंट हुई।