बालप्रहरी का 700 वां ऑनलाइन कार्यक्रमः

बालप्रहरी का 700 वां ऑनलाइन कार्यक्रमः बच्चों को रचनात्मक कार्यो से जोड़ने की जरूरत आनलाइन पहेली लेखन कार्यशाला में 162 बच्चों ने किया प्रतिभाग अल्मोड़ा। बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा आयोजित 700 वे ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तराखंड शिक्षा विभाग के उप निदेशक आकाश सारस्वत ने कहा कि बच्चे अपने स्तर से छोटे-छोटे रचनात्मक कार्य करें। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बच्चों में रचनात्मक कार्य करने की ललक होती है। बस उन्हें अवसर दिए जाने की जरूरत है। बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशालाओं के बारे में उन्होंने कहा कि बालप्रहरी संभवतया राष्ट्रीय स्तर पर अकेला मंच है जो कोरोना काल से अभी तक बच्चों को रचनात्मक कार्यो के लिए प्रेरित करता रहा है। उन्होंने बालप्रहरी मंच के बारे में बताया कि कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक के बच्चों को एक मंच पर अभिव्यक्ति का अवसर देने की दिशा में आयोजकों के प्रयास की सराहना की जानी चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व आयकर आयुक्त श्यामपलट पांडेय ने कहा कि बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशालाएं जहां बच्चों को कहानी,कविता,निबंध, यात्रा वृतांत, आत्मक कथा आदि साहित्य की विभिन्न विधाओं से जोड़ती हैं वहीं गैर हिंदी भाषी बच्चों को हिंदी बोलने का मंच प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे जहां अपनी लोक संस्कृति से जुड़ रहे हैं वहीं समय-समय पर देश भक्ति गीत आदि कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चे देश भक्ति , सामाजिक सरोकारों तथा मानवीय मूल्यों से भी परिचित हो रहे हैं। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान खंडवा,मध्य प्रदेश के प्रवक्ता डॉ. अशोक कुमार नेगी ने कहा कि बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशालाओं में बच्चों के साथ ही अभिभावकों तथा बालसाहित्यकारों को भी अभिव्यक्ति का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों के अनुसार बच्चे टेलीविजन के सीरियलों को देखने के बजाय बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशालाओं से जुड़कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। हरिद्वार से ऑनलाइन जुड़ी अभिभावक प्रीती ने कहा कि बच्चों के अंदर आत्मविश्वास जाग्रत हो रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी पाल्या वृंदा अब बगैर हिचकिचाहट के आत्मविश्वास के साथ जहां अपनी अभिव्यक्ति देती है। वही अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि तथा संचालक बतौर भी उसका आत्मविश्वास देखते ही बनता है। अमेठी,उत्तर प्रदेश से जुड़ी अभिभावक सविता वैश्य ने कहा कि वह तथा उनके बच्चे बालप्रहरी की पिछली लगभग 200 कार्यक्रमों से ऑनलाइन लगातार जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पटल पर बच्चे एक दूसरे राज्यों के बच्चों से आपस में जुड़ रहे हैं तथा एक दूसरे की संस्कृति को समझ रहे हैं। 700 वें ऑनलाईन कार्यक्रम में जुड़े ओजस्वी,यशस्वी,,नताशा,कार्तिक, अभिनव,वृंदा,हर्मिका, संजना व हर्षिता ने कहा कि बालप्रहरी से जुड़ने के बाद अपने स्कूलों में भी विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन वे कर रहे हैं। बच्चों ने चित्रकला,क्राफ्ट,नाटक आदि कार्यशालाओं के आयोजन के सुझाव भी दिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए बालप्रहरी के संपादक तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव उदय किरौला ने बताया कि बालप्रहरी पटल पर भारत के 16 राज्यों के लगभग 2100 बच्चे जुड़े हैं। जिनमें से लगभग 500 बच्चे अभी तक संचालन कर चुके हैं।लगभग 1500 बच्चे बतौर अध्यक्ष, 300 बच्चे विशिष्ट अतिथि बतौर अपनी अभिव्यक्ति दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक 700 अभिभावक,शिक्षक तथा साहित्यकार बतौर बच्चों से मुख्य अतिथि बतौर बात कर चुके हैं। समय-समय पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में लगभग 300 साहित्यकार बाल कविताओं का वाचन कर चुके हैं। 700वे ऑनलाइन कार्यक्रम में सुमित श्रीवास्तव (अमेठी) प्रकाशचंद्र पांडे (हरिद्वार), गंगा आर्या (बेरीनाग)संतोष मालवीय(खंडवा) रेखा वर्मा(अल्मोड़ा),कैलाश अंडोला(बागेश्वर),नीलम शर्मा(दतिया),कमला वेदी(चंपावत), सूरी भारती(टिहरी) कृपालसिंह शीला (भिक्यिसैण), लता भट्ट(पिथौरागढ) रेखा जोशी(नानकमत्ता ),शैली(लखनऊ ) आदि अभिभावक व शिक्षक जुड़े थे। बालप्रहरी के 20 स्थापना दिवस पर आयोजित 701 वी ऑनलाइन पहेली लेखन कार्यशाला में 162 बच्चों ने ऑनलाइन पहेली भेजी। सभी प्रतिभागियों को ऑनलाइन प्रशस्ति पत्र दिया गया।

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